राजस्थान की रूमा देवी भली ही आठवीं पढ़ी हैं लेकिन वह लगभग 22000 महिलाओं का आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। उनकी खुद की शादी सत्रह साल की उम्र में हो गई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और स्वयं सहायता समूह बनाकर छोटे स्तर से काम शुरू किया।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में बाड़मेर की कशीदाकारी और हस्तशिल्प कला के प्रमोशन को लेकर आयोजित क्राफ्ट वर्कशॉप में बड़ी संख्या में विवि के विद्यार्थियों ने रूचि दिखाई। विवि परिसर में आयोजित वर्कशॉप में बाड़मेर की रूमादेवी ने छात्राओं को कशीदाकारी की बारीकियां बताई।
बाड़मेर की रहने वाली रूमा देवी की 17 वर्ष की उम्र में शादी हो गई थी। शादी के चलते पर अपनी स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाईं लेकिन रूमा देवी ने बाड़मेर के मंगला की बेड़ी गांव सहित तीन जिलों के 75 गांव में 22000 महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाई। रूमा के कारण बाड़मेर, बीकानेर और जैसलमेर की ये महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर खुद के पैर पर खड़ी हो गई हैं। रूमा देवी को 2018 में नारी शक्ति पुरस्कार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया।
2006 में दस महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह शुरू किया। हर महिला से सौ रुपये लिए। हम लोगों ने कपड़ा, धागा और प्लास्टिक के पैक्ट्स खरीदकर कुशन और बैग बनाए। हम लोगों को उसी गांव में ग्राहक मिल गए और फिर हमारा व्यवसाय चल पड़ा।’
वह सिर्फ अपने गांव में काम कर सकती थीं लेकिन उन्होंने दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने की ठानी और फिर दूसरे गांवों में भी काम शुरू किया। उनके काम को ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान बाड़मेर ने सराहा। वह 2008 में इसकी सदस्य बन गईं।
दो साल में ही 2010 को वह इस संस्थान की अध्यक्ष भी बन गईं। अब इस ग्रुप हर सदस्य 3,000 से 10,000 रुपये प्रति महीने कमा लेती है। एनजीओ महिलाओं को ट्रेनिंग और मार्केटिंग के गुर भी सिखाता है।
Source : Rumadevi Facebook account, Indian Women Blog, Patrika, India Today & Internet
Facebook
Twitter
Instagram
YouTube
RSS