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हमारे इतिहास की कई ऐसी बातें और घटनाएं है जो मानो या मानो की स्थिति के कारण इतिहास के पन्नों में कहीं गुम सी गयी है. क्योंकि इन घटनाओं को प्रमाणित तो नहीं किया जा सकता लेकिन इनके बारे में जानना भी जरुरी होता है. आज हम मंडोर से जुड़ी ऐसी ही कुछ प्राचीन और रोचक बातें जानते हैं जो अब तक इतिहास के पन्नों में ही कैद थी.
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- मंडोर का इतिहास 7500 वर्षों से भी पुराना है. उससे भी पूर्व यह ऋषि माण्डव्य की तपोभूमि थी, जो कालांतर में एक नगर के रूप में विकसित हुआ.
- कालांतर में मण्डोवर पर मदू जी का शासन हुआ जिनकी पुत्री थी मंदोदरी. जिसके बारे में प्रचलित है कि रावण से इनका विवाह हुआ था. इसका कुछ प्रमाण मंडोर के महलों की शिल्पकारी और पुराने अवशेषों से मिला था परन्तु समय के साथ साथ इन अवशेषों का अस्तित्व मिटता गया और ये इतिहास के पन्नों में ही सिमट गए.
- एक समय रावण ने अपने स्वसुर मदू जी को अपनी अधीनता स्वीकार करने की बात कही, लेकिन विनयपूर्वक उन्होंने रावण के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. क्रोधित होकर रावण ने कुम्भकर्ण और मेघनाद की सहायता से पूरी मण्डोवर नगरी को ध्वस्त और उलट-पलट कर दिया. इस उलट-पलट के प्रमाण तो आज भी मंडोर में देखने को मिल जाते हैं और आज यह क्षेत्र उल्टे किले के नाम से प्रसिद्ध है.
- मान्यता थी की मंडोर के खंडहर पड़े इस क्षेत्र में तलघरों के नीचे अपार खजाना भी गढ़ा होगा. परन्तु इसकी निश्चित पुष्टि नहीं की जा सकती.
- एक मान्यता यह भी है कि मंडोर किले के नीचे 3 सुरंगें भी है, एक सुरंग अयोध्या, एक लंका और एक द्वारिका की ओर जाती है.
- प्राचीन समय में मंडोर कितना भव्य, आकर्षक और कलात्मक रहा होगा इसका अनुमान हम आज भी मंडोर क्षेत्र का भ्रमण करके स्पष्ट रूप से देख सकते हैं. मंडोर उद्यान में स्थित देवालय और छतरियां इसकी कला का उत्कृष्ट उदहारण है जो आज भी अच्छी स्थिति में है.
- मेहरानगढ़ किले से पूर्व मारवाड़ की राजधानी मण्डोवर हुआ करती थी. मंडोर के खण्डहर पड़े इस क्षेत्र में जो शिलाखण्ड, चट्टानें और अन्य भग्नावेश मिले वो इस नगर की भव्यता और अलौकिकता का वर्णन करते हैं. कहा जाता है कि इन्हीं चट्टानों और पत्थरों से कालांतर में कई पुनर्निर्माण कार्य हुए और जोधपुर नगर का अधिकतर निर्माण भी इन्हीं से हुआ.
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परन्तु वर्तमान समय में अवैध खनन, अतिक्रमण और देख-रेख के अभाव में इसकी ऐतिहासिकता को बहुत नुकसान हुआ है. फिर भी आज मंडोर जोधपुर की सबसे प्राचीन विरासतों में से एक है. सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि इन ऐतिहासिक और पौराणिक विरासतों के संरक्षण में सहयोग करें. अन्यथा आने वाली पीढियां तो इनके इतिहास से भी अनभिग्य रह जाएँगी.
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राजस्थान के इतिहास में लोक देवता कल्ला जी महत्वूर्ण स्थान है और यह गुमनाम ऐतिहासिक जानकारी उन्हीं से सम्बंधित है.
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