Fair and Festivals of Jodhpur List
प्राचीन समय से त्योहारों और पर्व का हमारे आम जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहा है। चाहे Holi हो या Diwali, यह कहने में कोई दो राय नहीं की यह उत्सव के पर्व किसी ख़ुशी के संदेश से कम नहीं होते। हर शहर में कई अलग अलग त्योहार मनाए जाते है। कुछ लोक्कथाओ में प्रसिद्ध है तो कुछ जश्न के रूप में।
Jodhpur शहर, जो लोगो की मीठी बोली और मेहमान नवाजी से मशहूर है, कई ऐसे त्योहार अपने पन्नो में बंद किए बैठा है। आइए जानते है Jodhpur से जुड़े कुछ प्रचलित मेले और त्योहारों के बारे में।
KNOWING THE CULTURE OF FAIRS AND FESTIVALS
1.) धिंगागवर बेंतमार मेला
तिथि: वैशाख कृष्णा तृतीया
समयांतराल: 16 दिन
धिंगागवर Jodhpur शहर का सबसे लोकप्रिय मेला है। यह हर साल होली के अगले दिन से मनाया जाता है और यह मेला 16 दिन तक चलता है। यह त्योहार शिव जी और पार्वती जी की हास्य और आनंद कथाओं पर आधारित है। इस उत्सव में विवाहित महिलाएँ और कुँवारी लड़कियाँ 16 रोज़ तक राजस्थानी पारंपरिक पौशाख़ पहन कर शिव जी (इसर) और पार्वती जी (गणगौर) को पूजती है।
इस मेले में महिलाएँ पुरुष के समान कपड़े पहन कर, अर्ध रात्रि में एक छड़ी लिये बाहर निकलती है और कुँवारे लड़कों को छड़ी से मारती है (बैंत), इसलिए इसे बैंतमार मेला भी कहा जाता है। ऐसा मानना है कि अगर कुँवारे लड़के यह छड़ी से मार खाले, तो उनकी शादी जल्दी हो जाती है।
यह त्योहार Jodhpur शहर में सबसे प्रसिद्ध है और इस मेले का नज़ारा Jodhpur Old city में देखने को मिलता है।
2.) शीतला अष्टमी
तिथि: कृष्णा पक्ष अष्टमी
समयांतराल: 1 दिन
शीतला अष्टमी Jodhpur में बड़ी लोकप्रिय है। यह Holi के ठीक 8 दिन बाद आती है। शीतला अष्टमी, शीतला माता; एक हिंदू देवी, जिन्हें रोगों की देवी भी कहा जाता है, उनके लिए मनायी जाती है। लोग अपने आपने घरों में, अष्टमी से एक दिन पूर्व, भोजन बनाते है और और अगले दिन वही ठंडा भोजन माता को प्रसाद चढा कर ग्रहण करते है। इस अष्टमी को बसोडा के नाम से भी जानते है।
Jodhpur में शीतला अष्टमी का मेला Kaga, Jodhpur में लगता है और बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।
3.) बाबा रामदेव मेला
तिथि: भाद्रपद शुक्ला दृतिया
समयांतराल: 1 दिन
शुक्ला पक्ष दूज के दिन बाबा रामसा पीर का जनम हुआ था। इनकी जनमतिथि से मशहूर यह मेला, Jodhpur शहर के पास Ramdevra में और Jodhpur शहर के मसूरिया मन्दिर में मनाया जाता है।
लाखों भक्त, हज़ारो मील अपने घर से पैदल चल कर, बाबा के द्वार आते है उनके दर्शन के लिए।
यह मेला 1 दिन का होता है, जिसमें बाबा रामसा पीर के दर्शन के बाद, भक्त भोजन ग्रहण करते है। यह मेला, लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है।
4.) खेज़डली शहीदी मेला
तिथि: भाद्रपद शुक्ला दशमी
समयांतराल: 1 दिन
खेज़डली, Jodhpur शहर से 26 kilometer की दूरी पर है। यह शहीदी मेला, श्रीमती Amrita Bishnoi की याद में मनाया जाता है जिन्होंने एक Ruling party के विरुद्ध जाकर, Bishnoi समाज के पेड़ों की रक्षा की। आज हम सब इसी किस्से को Chipkoo Movement के नाम से जानते है।
यह मेला उनकी वीरता का प्रतीक है। हर साल, भाद्रपद की दशमी को 363 दिए लगाकर, यह मेला मनाया जाता है।
5.) मारवाड़ मेला
तिथि: शरद पूर्णिमा
समयांतराल: 2 दिन
मारवाड़ मेला जिसे मंडोर मेले के नाम से भी जाना जाता है, हर साल October के महीने में पर्यटक विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है। यह हर साल, Rajasthan के नायकों और शूरवीर की याद में मनाया जाता है जिसमें लोक गीत के रूप में उनकी वीरता का सम्मान होता है। Umaid Bhawan, Mehrangarh fort, और Mandore में यह जश्न धूम धाम से मनाया जाता है।
6.) मंडलनाथ महादेव मेला
तिथि: कृष्णपक्ष तेरस
समयांतराल: 1 दिन
मंडलनाथ मंदिर Jodhpur शहर का सबसे प्राचीन और लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर की स्थापना 923 AD में हुई थी और इसे शमबु दत्त जी ने बनवाया था। उन्ही की जनमतिथि पर इस मंदिर में धूम धाम से उत्सव आयोजित होता है। यह मेला हर साल होली के 13 दिन बाद लगता है।
यह Jodhpur शहर के त्योहार और मेले Marwari culture को एक अलग पहचान देते है। जिस तरीक़े से यह पर्व मनाए जाते है ऐसा लगता है मानो राजस्थानी संस्कृति को एक उत्साह की लहर मिल गयी हो।
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