पिछले आठ सालों से मैं IT sector में as a Software Engineer जॉब कर रहा था. Corporate Life भी अच्छी चल रही थी लेकिन एक कमी हर समय महसूस होती थी कि ना तो मैं जॉब छोड़ सकता था ना अपने passion को छोड़ सकता था. आखिर इतने संघर्ष के बाद जॉब छोड़ कर मैंने अपने passion को चुन ही लिया.
मेरा नाम वरेण्य जोशी है और मैं जोधपुर का ही रहने वाला हूँ. बचपन से ही मुझे ‘Beat’ यानि ‘ताल’ से बहुत लगाव था. मेरी पहचान के लोग अक्सर मुझे “बाबा” कहकर बुलाते हैं और जब से मैं Beats और Rhythm पर काम करने लगा था तब से मैं Beat Baba बन गया. मुझे ऐसा लगता है कि जैसे beats और rhythm मेरे रग-रग में बस गए हैं. मैं हर चीज में, हर काम में Rhythm को follow करता हूँ. चलते हुए, travel करते हुए, मतलब हर समय मेरे mind में यही चलता रहता है.
बचपन में घरवालों से जिद करके मैंने एक ढोल लिया था और ऐसे ही शौक-शौक में बजाता था. एक दिन मेरे पड़ोस के ताऊजी ने सुना और कहा की मैं बहुत ही ताल में बजा रहा हूँ. फिर उन्होंने मुझे तबला सीखने की सलाह दी. जब पहले दिन मैं तबला सीखने पहुँचा तो तबला देखते ही मुझे उससे प्यार हो गया और मैंने अपना पूरा मन तबला सीखने में लगा दिया. तबले ने मुझे यह भी सीखाया की Faith और Patience क्या होता है और हमारी लाइफ में ये दोनों कितने जरुरी होते है. शुरू-शुरू के कुछ दिन तो मैं तबले से आवाज भी नहीं निकाल पाता था लेकिन मन लगा कर कोशिश करता रहा और तीन साल मैंने पूरी मेहनत की. तब शायद ये नहीं सोचा था कि बचपन का एक शौक और जिद की ताल कुछ ऐसी बजेगी कि मेरी पहचान ही “Beat Baba” बन जायेगी.
बाद में मैंने Engineering की पढ़ाई की और मेरी Job भी लग गयी, लेकिन मेरा Motive कुछ और ही था. कहीं ना कहीं मुझे लग रहा था की ये जॉब मेरे लिये नहीं है. जॉब के साथ-साथ मैं अपने इस passion को भी follow करता रहा. Beats के लिए मेरे passion और perfection से प्रभावित होकर आखिर घरवालों ने मुझे अपना passion पूरा करने की permission दे दी. फिर मैंने job छोड़ दी और वापस अपने घर आ गया.
एक दिन अपने पुराने दोस्त गौरव बोरा से मिलना हुआ जो गिटार बजाता था उसने मुझे अपने गाने सुनाये और कुछ instruments भी दिखाये. वो सब देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरे पापा एक Journalist है और उन्हें कविताओं का बहुत शौक है इसलिए मेरा बचपन किताबों के बीच ही गुजरा है. मुझे और मेरे दोस्त दोनों को भी लिखने का शौक था. हम साथ में कविताएँ पढ़ते थे और लिखते भी थे फिर धीरे-धीरे हम compose भी करने लगे. 2009 में Internal Inqalaab नाम से एक band बनाया और 3 सालों में हमने 26 songs बनाये, lyrics भी हमने खुद ही लिखे और compose भी खुद ही किये तो यह एक Achievement था हमारे काम का, हमारे passion का.
एक दिन Youtube पर हमने एक instrument देखा, Cajon(कहॉन), जिस पर बैठकर उसे बजाया जाता है. Youtube से देखकर ही हमने ऐसा instrument बनवाया और youtube से ही बजाना भी सीखा. फिर हमने Cafes में live Performance के बारे में सोचा क्योंकि उस समय जोधपुर के cafes में ऐसा नहीं होता था. तो हम एक Cafe में गए और वहां के owner से बात करके live Perform किया. बहुत अच्छा अनुभव रहा था वह और लोगों को पसंद भी आया.
2016 में नए members को शामिल करके एक नया Band बनाया जिसका नाम है Exile Diaries. दो साल हमने काम किया लेकिन फिर सब अलग-अलग काम में Busy हो गये. लेकिन अब recently वापस हम सबने मिलकर काम शुरू किया है. हम songs लिखते हैं, compose करते हैं और live perform भी करते हैं.
मैं चाहता हूँ कि Rhythm के बारे में लोग विस्तार से जाने और इसे अपनी lifestyle में जोड़ना सीखें. अगर आप Rhythm को समझ गए तो आप हर काम को Rhythm में कर सकते है. गुस्से को काबू कर सकते हैं, productivity बढ़ा सकते है या कह सकते हैं Literature हो, singer हो, guitarist हो, rapper हो या normal music ही हो, उन सब मैं Rhythm का क्या role रहता है कैसे उनको improvise कर सकते हैं. इसके लिए मैने workshops भी ली थी और आगे भी इसे continue करना चाहता हूँ.
मेरा मानना है कि आप वो काम करो जो आप करना चाहते हो और जिसे आप faithfully कर सकते हो, You have your own perspective to achieve what you want. अपने passion के लिए patience और faith हमेशा रखें और उस पर काम करते रहें. !!
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