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मारवाड़ की स्थापत्य कला का एक और उदाहरण है यह ईमारत, जिसे एक विशाल चट्टान को काटकर शिप(जहाज) का आकार दे दिया इसलिए इसे शिप हाउस कहा जाता है. यह ऐतिहासिक धरोहर जोधपुर शहर के नागोरी गेट में स्थित है.
महाराजा सर प्रताप सिंह जी ने सन् 1886 में अपने निजी आवास के लिए इस भवन का निर्माण करवाया था. अन्य शासकों में से इन्होंने सबसे अधिक विदेश-यात्राएँ की थी जो अधिकतर पानी के जहाज से ही होती थी अतः इन्होंने निवास के लिए भी शिप के आकार का भवन बनाने का विचार किया. जिसे उस समय के राज्य अभियंता होम ने निर्देशित किया था. यह भवन तीन मंजिला है जो शहर के लिए किसी आश्चर्य से कम नही था और इसकी शिल्पकला भी देखने योग्य है. नीचे की मंजिलों में घोड़ों के लिए अस्तबल बनाये गए और पहाड़ी के पास में ही दो पोलो मैदान भी बनवाए गए थे क्यूँ की महाराजा सर प्रताप सिंह जी को पोलो के खेल में बहुत रूचि थी.
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लेकिन महाराजा सर प्रताप सिंह जी ज्यादा समय तक इस भवन में नही रह सके और उन्होंने रातानाडा में एक नए भवन का निर्माण करवाया. क्योंकि शिप हाउस पूर्व में स्थित था और हवा की गति प्रायः पश्चिम से पूर्व की ओर रहती है जिससे शहर की प्रदूषित वायु इसी ओर आती थी.
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25 जनवरी 1949 में शिप हाउस में जोधपुर ब्रोडकास्टिंग स्टेशन का निर्माण हुआ. महाराजा के निजी ट्रांसमीटर से कुछ मारवाड़ी गाने और भजन प्रसारित किये जाते थे. आज देखरेख के आभाव में यह इमारत अपनी लोकप्रियता खोती जा रही है. आस पास के इलाकों में अतिक्रमण भी होने लगा है.
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हालांकि यह ईमारत महाराजा की निजी संपत्ति है और इसे एक हेरिटेज संग्रहालय बनाने पर विचार चल रहा है. ताकि इस एतिहासिक धरोहर को संवारा जा सके और फिर से लोकप्रिय बनाया जा सके.
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