जोधपुर के इतिहास में स्थापत्य कला का विशेष महत्व रहा है. हर काल के शासकों ने समय और जरुरत के अनुसार स्मारकों के रूप में विभिन्न भवनों, उद्यानों, बावडियों आदि का निर्माण करवाया था.
उन्हीं में से एक है “राईका बाग पैलेस”. शहर के मध्य में स्थित एक रमणीय और आकर्षक भवन जो हर पर्यटक को इसकी भव्यता और वास्तुकला देखने पर मजबूर कर देता है. यह पैलेस राई का बाग़ रेलवे स्टेशन के पास स्थित है.
राईका बाग पैलेस का निर्माण सन् 1663-64 में महाराजा जसवंत सिंह प्रथम की हाडी रानी “जसरंग दे” ने करवाया था. चार दीवारी में एक सुन्दर बाग़ का निर्माण करवाया गया तथा बाद में कुछ महल भी बनवाए गए. समय के साथ-साथ यहीं विभिन्न निर्माण कार्य होते रहे जिनमें कुआं, स्विमिंग पूल, पोल्ट्री, अस्तबल, वुड बंगलों, कम्पाउंड, लोहे की लेटरीन, धोबीघाट, कोकटेल बार, सिनेमा हॉल आदि प्रमुख थे.
जोधपुर से बाहर जाते समय राजाओं का पहला पड़ाव यहीं पर होता था तथा जोधपुर में आने वाले ख़ास मेहमानों को भी यहीं ठहराया जाता था. यह स्थान महाराजा जसवंतसिंह जी द्वितीय को बहुत पसंद था इसलिए उन्होंने बाद में इसे अपना स्थायी निवास बना लिया.
सन् 1881 से पहले तक जसवंतसिंह जी द्वितीय ने पैलेस में एक अष्टपहलू महल का निमार्ण करवाया था. 1883 में जब स्वामी दयानंद सरस्वती का आगमन जोधपुर में हुआ था तब उन्हें इसी महल में ठहराया गया था और यहीं पर वे आमजनता और राजपरिवार के लोगों को अपने प्रवचन देते थे.
राई का बाग़ पैलेस हाल-फ़िलहाल दरबार की सम्पत्ति है. परन्तु आज रख-रखाव के अभाव में यह अमूल्य धरोहर जर्जर होती जा रही है. अगर इन धरोहरों को नहीं संभाला गया तो आगे आने वाली पीढियां शायद इन्हें नहीं देख पायेंगी.
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