आज इस blog के through हम आपको introduce करवायेंगे Ashutosh Kalla से, जो कि जोधपुर के एक aspiring photographer और artist है।
Ashutosh ने कभी photography की formal training नहीं ली। उनका कहना है कि जब वे college में थे और engineering कर रहे थे, उस समय उन्हें camera phones ने बहुत influence किया। आशुतोष अक्सर अपने दोस्त का mobile borrow करके photography किया करते थे और देखते ही देखते वे इस art form की ओर passionate होते चले गए। Ashutosh ने as a photographer अपनी journey 2011 में start कर दी थी और पिछले 3 सालों से as a full time professional photographer काम कर रहे हैं। जब Ashutosh अपनी photography पर काम कर रहे थे तब उन्होंने camera settings को detail में समझा, IOS, aperture & shutter speed जैसे terms दिखाई दिए, फ़िर इन terms को उन्होंने youtube के माध्यम से detail में study किया।
ख़ाली वक़्त में अपनी skills को improve करने के लिए Ashutosh, camera से पहले auto-mode में फ़ोटो click करते फिर उसी vision को manual mode में click करने की कोशिश करते। Auto-mode से ली गयी फ़ोटो को manual mode से ली गयी फ़ोटो से match करना काफ़ी challenging काम होता है. Ashutosh तब तक practice करते रहे जब तक कि उनकी Photos बिना auto-mode के perfectly balanced नहीं आने लगी। और तो और Ashutosh कई बार viewfinder में बिना देखे फोटोज लेकर अपनी skills को flexible बनाने की कोशिश करते थे। उन्हें लगता था कि, कई बार ऐसा होता है कि अगर वे viewfinder में देख कर किसी इंसान या द्रश्य की फ़ोटो लेंगे तो हो सकता है वो इंसान uncomfortable हो जाये और best shot हाथ से निकल जाए। उनके इसी hardwork और dedication ने आज उनके काम को एक अलग ही recognition दिलवाई है।
Ashutosh का मानना है कि किसी एक को अपना ideal बना लेना अपनी art को limit कर देना है। हर artist का अपना एक different style होना chahiye जो original हो और कहीं से copied न हो। उनका यह भी कहना है कि जो लोग उन्हें जानते है या जिन्होंने उनके photographs देखे हैं, वे देखते ही पहचान लेते है कि ये photos Ashutosh ने click की है क्योंकि उनका खुद का एक different style है, जिसके लिए वो famous हैं।
Ashutosh art की बेहद respect करते हैं और कहीं न कहीं वे यह भी wish करते हैं कि काश वे humanities stream pursue कर पाते। वे इस चीज़ के लिए भी thankful है कि engineering करते वक़्त physics में उन्हें lines, shapes, light, rays etc. का जितना भी basic knowledge मिला, वो उनकी photography के लिए fruitful साबित हुआ।
Ashutosh ने Pali के collector office में as a network engineer भी काम किया था लेकिन ठीक 15 महीनों बाद उन्होंने वो job quit कर दी और कुछ समय के लिए खाली ही रहे। धीरे-धीरे उनकी एक आदत सी बन गयी थी, जिसमें वे लगातार 3 दिन जागते और फिर पूरे एक दिन सोते। रात को 3 बजे के करीब वे घर से निकल जाते और शहर में walk करते, कभी बदलते आसमान के रंगों को देखना तो कभी sunrise देखना और ऐसे माहौल को observe करना, यह उनका routine बन चुका था और शायद यही एक reason था कि Street Photography उनकी favourite kind of photography बन गयी है। उनका कहना है कि अगर किसी इंसान ने street photography में mastery कर ली है, तो वो किसी भी तरह की photography कर सकता है। क्योंकि street photography में आपके पास सिर्फ एक chance होता है और उसी समय आपको future predict करना पड़ता है। frame दिमाग में आ जाने के बाद कौन, कब और कैसे frame में आएगा और कब shot लिया जाएगा, ये हाथों-हाथ decide करना पड़ता है।
इसके आलावा Ashutosh को street photography और fashion को mix कर के कुछ different create करना भी बहुत अच्छा लगता है। उन्हें lines और symmetrical चीज़ों से भी बहुत लगाव है। वे कहते हैं कि जब वे रास्ते में चलते है तो उन्हें लोग या जगह नहीं, बल्कि frames ही नज़र आती है और वे हर रोज़ आँखे बंद कर उन frames को गिनते है कि आज उन्होंने कब और कहां, कितनी frames देखी। Ashutosh के लिए photography एक therapy है जिसके ज़रिए उन्हें mental satisfaction मिलता है।
Ashutosh ने कहा कि, “अगर कोई normal इंसान किसी बूढ़े आदमी को roadside पर बैठा देखेगा तो उसके लिए वह बहुत normal सा view होगा लेकिन जब मैं same view को देखता हूँ तो मेरे दिमाग में ढेर सारी चीजें process करने लग जाती है कि, क्या वो आदमी center में equal distance के साथ बैठा है? क्या उस frame की lines balanced है? क्या वो symmetrically perfect है? क्या उस आदमी के कपड़ों का रंग उसके background के contrast से match कर रहा है?”
इन सभी बातों से यह prove होता है कि आशुतोष की imagination skills कितनी उम्दा है। उनके अनुसार एक picture को दूसरों से अलग 2 ही चीजें बनाती है। वो यह कि,“it must portray a story and second, it should be symmetrically weighted.”
Ashutosh जोधपुर में ad shoot करना, commercial photography करना, government projects के लिए shoot जैसे कई काम कर चुके हैं। Future में अपने आपको वे as a DOP देखते है क्योंकि उन्हें cinematography में भी बहुत interest है और इसी के साथ वे एक professional photographer भी बनना चाहते है। फिलहाल आशुतोष Delhi में एक photographer के साथ मिल कर एक book पर काम कर रहे हैं जिसका नाम है “Lost Avtar” इस book के through वे उन “tribal” लोगों की stories cover करते हैं जिनका culture extinct होने की कगार पर है और जो remote areas में रहते है जिनका बाहरी दुनिया से कोई contact नहीं है और ना ही उन्हें proper resources मिल पाते है। Ashutosh उनके साथ मिल कर अपनी photography और videography के through उनकी existence के बारे में लोगों को aware करना चाहते हैं और इसी के साथ वे educationally और financially उन लोगों की help भी करते हैं।
Ashutosh अपने art form की बहुत respect करते हैं और अपने आपको बहुत lucky मानते है कि उन्होंने इस art form को चुना और समझा। इतने काबिल होने के बाद भी वे अपने आप को as an artist consider नहीं करते क्योंकि उनके लिए art की एक अलग ही definition है जिसको वे कभी justify नहीं कर सकते। इसीलिए जब उनसे उनके मुताबिक़ आज तक कि सबसे best photograph माँगी गयी हो उन्होंने simply कह दिया कि, उनके हिसाब से उन्होंने आज तक कोई best photo ली ही नहीं है।(the best is yet to come)
इस से ये साफ जाहिर होता है कि वे एक अच्छे photographer होने के साथ साथ एक अच्छे इंसान भी है जिन्हें खुद अपने मुंह अपनी तारीफ करना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। उनकी life और profession के toward यही attitude उन्हें औरों से अलग बनाता है।
Facebook
Twitter
Instagram
YouTube
RSS