सिर्फ एक परिवार नहीं, सिर्फ एक राज्य नहीं, सिर्फ एक देश नहीं बल्कि आज पूरा विश्व वसुधैव कुटुम्बकं की धुरी पर खड़ा है. ये समस्या जिसने विश्वव्यापी रूप ले लिया है और जिसका समाधान अब पुरे विश्व को एक साथ मिलकर ही करना है. विश्व के सभी देशों के प्रमुख आज एकजुट होकर इस समस्या से निपटने के प्रयास में लगे हैं.
ये स्थिति ही ऐसी है कि मिलकर ही इसका समाधान हो सकता है और लोगों में इस स्थिति की जागरूकता लाने का एक उपाय जो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनाया है वो है Collective consciousness यानी सामूहिक चेतना. वह चेतना जिसमें सम्पूर्ण समाज का हित निहित होता है. चूँकि व्यक्ति समाज की इकाई है अतः समाज में रहकर ही उसका विकास संभव है और इसी प्रकार समाज का विकास भी व्यक्ति द्वारा ही संभव होता है.
जब लोग किसी आदर्श से प्रेरित होकर उसकी प्राप्ति के लिए आगे बढ़ते हैं, तो वह समाज कहलाता है. मिलकर साथ चलते हुए आपसी एकता को मजबूत करने से ही सामाजिक उन्नति होती है.
सामूहिक चेतना का अर्थ:
एक साथ मिलकर चलना अर्थात किसी समस्या से निपटने के लिए सम्पूर्ण समाज का एक साथ, एक ही सोच रखकर प्रयास करने को सामूहिक चेतना कह सकते हैं. आज ठीक वही स्थिति हमारे सामने है जिसका पालन करना हमारे लिए बहुत जरुरी है. क्यूंकि ऐसी स्थिति में कुछ लोग अक्सर नकारात्मक होने लगते हैं और सोचते है कि जब कोई और जागरूक नहीं है तो मैं अकेला क्यों होऊं. इसी सोच को बदलने के लिए सबसे अच्छा तरीका है सामूहिक चेतना को जगाना अर्थात् एक दुसरे का मिलकर साथ देना और अकेलेपन भी भावना को दूर करना.
लोगों में सामाजिक चेतना कैसे जगाई जाये?
जब समाज के सभी लोग एक साथ मिलकर वही कार्य करते है जो ऐसे समय करना आवश्यक है तब उनकी चेतना विकसित होती है समाज के प्रति विश्वास की भावना मजबूत होती है.
इसकी सबसे अधिक जिम्मेदारी उस पर होती है जिस पर समाज के अधिकार लोग विश्वास करते हो. क्योंकि समाज को सही मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए दो बातें बहुत आवश्यक है, महान आदर्श और महान व्यक्तित्व. इन्हीं गुणों की वजह से समाज के लोग उस व्यक्ति का अनुकरण करते हैं और उनमें उस सामूहिक चेतना का जागरण होता है.
समाज के एक समूह या व्यक्ति से दूसरे समूह या व्यक्ति की सोच और समझ में भिन्नता होती ही है. गुणों का, संस्कारों का और पालन-पोषण का तरीका और परिस्थितियां भी अलग-अलग होती हैं. परन्तु जब बात सामाजिक हित की होती है तब सभी लोगों की सोच और समझ का एक होना आवश्यक हो जाता है.
कहते है परिवर्तन ही एक व्यक्ति और सम्पूर्ण समाज की प्रगति में सहायक है , इसलिए आज आवश्यकता है अपनी व्यक्तिगत सोच में सामाजिक भावना को जागृत करने का.
इसका हाल ही का उदाहरण है 22 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री की देशवासियों से की गयी एक अपील. एक ही समय, एक साथ मिलकर थाली, ताली या शंख बजाना. लोगों द्वारा इस कार्य के अलग-अलग कारण भी बताये गए लेकिन परिणाम शुभ ही हुआ. लोगों में सामूहिक और एकता की भावना का उद्गम हुआ. लोगों ने अनुभव किया की वो अकेले नहीं है जो इस परिस्थिति से लड़ रहे है बल्कि सम्पूर्ण समाज साथ मिलकर लड़ रहा है.
और इसी तरह लोगों की हिम्मत और चेतना को एक बार फिर से जगाने के लिए एक और कार्य मिलकर करने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी है. 5 अप्रैल 2020 को, रात्रि 9 बजे, 9 मिनट तक अपने घर की सभी लाईट्स बंद करके, बालकोनी या छत पर दीया, मोमबत्ती या टॉर्च लगाकर सामूहिक एकता का और सामूहिक चेतना का परिचय देना. एक दुसरे से दूर रहकर ही एक-दुसरे का सहयोग करने की भावना को बढ़ावा देना.
लेकिन इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना की जोश में होश ना गवांये. क्यूंकि एक की लापरवाही सबके लिए संकट बन सकती है. इसलिए सामाजिक हित और भावना को साथ रखकर कार्य करें यही सामाजिक चेतना है.
Facebook
Twitter
Instagram
YouTube
RSS