मारवाड़ में स्थापत्य कला का विशेष महत्व रहा है. यहाँ के राजाओं-महाराजाओं ने कई ऐतिहासिक और भव्य इमारतों का समय-समय पर निर्माण करवाया है. जिनमें से कई भवन और इमारतें आज भी सुरक्षित हैं.
ये भवन, इमारतें और स्मारक विभिन्न राजाओं, राजभक्तों और स्वमिभाक्तों की स्मृति में बनवाये जाते रहे हैं. इन्हीं में से एक प्रमुख भवन है “ठाकुर उगम सिंह जी का बंगला”. लाल घाटू के पत्थरों से निर्मित यह भवन सुन्दरता और कलात्मकता का एक जीवंत उदाहरण है. वर्तमान में यह भवन मोहनपुरा पुलिया के पास रातानाडा में स्थित है.
इस बंगले का निर्माण तत्कालीन महाराजा सरदारसिंह जी ने 1908-1911 के मध्य में अपने स्वामिभक्त ठाकुर उगम सिंह जी के विवाह पर उन्हें भेट देने के लिए करवाया था. परन्तु कुछ दरबारियों के बहकाने के कारण महाराजा ने यह बंगला उगम सिंह जी को नहीं सौंपा. फिर भी यह भवन उगमसिंह जी के बंगले के नाम से ही पहचाना जाता था.
1915-16 ईं. में दरबार हाई स्कूल को इस बंगले में स्थानातरित कर दिया गया जो 1925 तक इसी भवन में चलती रही. 1926 में महाराजा सरदार सिंह द्वारा सूरसागर स्थित संग्रहालय को इस उगमसिंह जी के बंगले में स्थानांतरित कर दिया. कुछ समय बाद इस म्यूजियम को उम्मेद भवन स्थित नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया.
सन् 1951 से पूर्व तक कुछ समय के लिए जोधपुर की इंजीनियरिंग कॉलेज भी इस बंगले में चलती रही. उसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए रातानाडा में एक नये भवन का निर्माण करवाया गया. उस समय इस नये भवन को बनाने के लिए सेठ मगनीराम जी बांगड़ ने 6 लाख रूपये की वित्तीय सहायता की थी.
उसके पश्चात सन् 1954 में दरबार हाई स्कूल को पुनः उगम सिंह जी बंगले में स्थानांतरित किया गया. 1956 में इस स्कूल को माध्यमिक विद्यालय का दर्जा प्राप्त हो गया जो आज राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के नाम से जाना जाता है. परन्तु देख-रेख के अभाव में यह भवन अब क्षतिग्रस्त होता जा रहा है.
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